संत कबीर दास
"जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान"
कबीर दास जी कहते हैं जाती और धर्म में क्या रखा है, साधू (सज्जन) के ज्ञान का मोल है, जैसे तलवार का मूल्य होता है न की उसकी म्यान का|
कबीर दास जी के लिए किसी भी धर्म से ऊपर प्रेम और मानवता का धर्म था| और यही उनके द्वारा लिखे गए दोहों में भी देखने को मिलता है|
प्रभु कबीर दास जी के दोहे बहुत ही आत्मिक है
संत कबीर दास जी पूर्ण परमात्मा है और सभी शास्त्रों में प्रमाण है
शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा की पहचान तत्त्वदर्शी संत ही बाता सकता है
आइये जानते हैं कोन है तत्वदर्शी संत हैं ?
संत कबीर दास जी पूर्ण परमात्मा है और सभी शास्त्रों में प्रमाण है
शास्त्रों में कहा गया है कि पूर्ण परमात्मा की पहचान तत्त्वदर्शी संत ही बाता सकता है
आइये जानते हैं कोन है तत्वदर्शी संत हैं ?
तत्वदर्शी संत कौन होता हैं उसकी क्या पहचान हैं गीता अध्याय न.15 के 1 से 4 तक मे तथा 16 व 17 में बताया गया है कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के जड़ ,तना, शाखा, तथा पत्तों के बारे में विस्तृत जानकारी देगा वह तत्वदर्शी संत होगा। ओर कबीर साहेब जी ने भी विस्तृत जानकारी दी है कि"अक्षर पुरूष एक पेड़ है ,निरंजन वाकी डार तीनों देवा शाखा है ये पात रूप सँसार" ओर इस वाणी व गीता जी में वर्णित ज्ञान को आज के समय में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ने बताया है ।उन्होंने हमारे समाज में पनप रही गलत धारणाओ का ज्ञान के आधार से खंडन किया है।लोगों तक इस अनमोल ज्ञान को पहुँचा कर अंधविश्वास के अंधकार में डूबे लोगों को जागरूक किया है।श्रीमद भगवत गीता, श्रीमद देवीभागवत पुराण, वेद, सभी से प्रमाणित ज्ञान देते हैं जिससे साधक को सारा विवरण स्पष्ट समझ आता है तथा उनके द्वारा दी गयी भक्ति से अपने मानव जीवन को कल्याणमयी बनाकर सुखी रहता हैं ना कोई आडम्बर ओर ना ही किसी अंधविश्वास की की बेड़ी में फसकर अपने जीवन को सफल बनाता है अधिक जानकारी के लिए साधना चैनल पर शाम 7:30 से 8:30 तक सूने संत रामपाल जी के मंगल प्रवचन ओर उनके द्वारा लिखी सभी सद्ग्रन्थों से प्रमाणित ज्ञान से परिपूर्ण पुस्तकें ज्ञान गंगा , जीने की राह,अंधविश्वास श्रद्धा भक्ति ख़तरा ए जान आदि फ्री पुस्तकों के लिए आज ही ऑर्डर करे अपना नाम व पता कमेंट बॉक्स में लिखकर ओर विजिट करे इस वेबसाइट पर www.jagatgururampalji.org
संस्कृत शब्द व्रज का अर्थ जाना होता है जबकि गीता अनुवाद कर्ताओं ने उसका अर्थ आना करके पवित्र हिन्दू समाज के साथ धोखा किया है। हमारे धर्म गुरुओं ने हिन्दू समाज को गलत दिशा प्रदान की है शास्त्र अनुकूल साधना को छोड़कर शास्त्र विरुद्ध साधना बताई जिससे साधक को कोई लाभ नहीं मिल पाता है पढ़ें पुस्तक (अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान) ओर देखें 👇👇 h